उसकी ज्ञान परम्परा में एक ओर द्रव्य और ऊर्जा के पारस्परिक परिवर्तन के सिद्धांत छिपे थे तो दूसरी ओर सम्पूर्ण मानवता के स्वीकार के मूर्त सिद्धांत प्रस्तुत थे।
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उसकी ज्ञान परम्परा में एक ओर द्रव्य और ऊर्जा के पारस्परिक परिवर्तन के सिद्धांत छिपे थे तो दूसरी ओर सम्पूर्ण मानवता के स्वीकार के मूर्त सिद्धांत प्रस्तुत थे।